बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर -
रेडीमेड कपड़ों के चयन का आधार
रेडीमेड कपड़ों का चयन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए -
कपड़ों की किस्म (Quality of Fabrics) - सबसे पहले परिधान में उपयोग किये गये कपड़े की किस्म (Quality) देखनी चाहिए। वस्त्र किस प्रकार के रेशों (Fabric) से बना है, इसमें मिश्रित रेशों का प्रयोग किया गया है, कपड़ों की रचना कैसी है, इसकी बुनाई कैसी है, कपड़ा सिकुड़ने वाला तो नहीं है आदि बातों का ध्यान रखना चाहिए। अध्ययन से यह पता चला है कि सघन रचना वाले कपड़े अच्छे होते हैं क्योंकि ये जल्दी सिकुड़ते नहीं हैं झीनी रचना के कपड़े सिकुड़ जाते हैं। सेन्फोराइज्ड कपड़े में आकार और आकृति की स्थिरता रहती है। कपड़ा कैसा भी हो उसमें इतनी मजबूती होनी चाहिए कि कपड़ा उसके नमूने के आकार को संधारित रखे। परिधान में लगे गोटे, पाइपिंग, अस्तर आदि को भी ठीक से जाँच लेना चाहिए।
कपड़ों की रंग, रचना तथा कार्यक्षमता की जाँच करना भी जरूरी होता है। कपड़े पर पसीने का प्रभाव नहीं होना चाहिए तथा वह गांरटी के साथ होना चाहिए। रेडीमेड कपड़े की नीटिंग की जाँच करना भी आवश्यक होता है। कुछ सिलाई ऐसी होती है जिसका एक फंदा भी अगर खुल जाए तो पूरी लाइन की सिलाई खुल जाती है। अतः कपड़े का चुनाव करते समय उसकी सिलाई की जाँच कर लेनी चाहिए तथा मजबूत सिलाई वाले परिधान का ही प्रयोग करना चाहिए। इन गुणों को देखकर रेडीमेड कपड़ों का चुनाव करने से लाभ होता है।
रंग (Colour) - परिधान में प्रयुक्त कपड़े का रंग देखना भी जरूरी होता है। कहीं परिधान के प्रिंट में प्रयोग किये गये रंग कच्चे तो नहीं हैं। अक्सर नमूना बनाते समय कई एक रंगों के पीस का उपयोग किया जाता है, इन रंगों का पक्का होना जरूरी होता है। अगर कोई भी रंग गिरेगा तो सम्पूर्ण कपड़े का सौन्दर्य खराब हो जायेगा। इसलिए रेडिमेड परिधान लेते समय उसमें प्रयोग की जाने वाली हर चीज के रंग तथा उनका पक्कापन देख लेना चाहिए। केरोलिन बिंगों के अनुसार, "Choose those articles that may become a part of several, ensembles, thus few clothe give the illusion of many"। एक परिधान से कई एक सम्पूर्ण परिधान बनाए जा सकते हैं, इसे ध्यान में रखकर ही नए परिधान का रंग चुनना चाहिए।
नमूने (Sample) - कपड़े के कई नमूने होते हैं। प्रिंट, धारियां, रोएं, फंदे आदि तरीकों से कपड़े पर नमूने बनाये जाते हैं। धारियां भी कई प्रकार की होती हैं जैसे - आड़ी, खड़ी, तिरछी आदि। अगर परिधान एक ही रंग का है तो समस्या नहीं होती है, इससे कहीं से भी परिधान के पीस निकाले जा सकते हैं। लेकिन इसमें जब नमूना होता है तो परिधान के अलग-अलग पीस निकालने में बहुत सावधानी रखनी पड़ती है।
कपड़े की कटाई (Cutting of Fabric) - जब परिधान की कटाई ठीक ढंग से होती है तभी उसकी फिटिंग ठीक से आती है। कपड़े की सीधी रेखा जो धागा खींचने पर बनती है, ग्रेन लाइन (Grain line) कहलाती है। कपड़े की तिरछी रेखा ओरेबी कहलाती है। कभी कभी जब कपड़े कारखानों से निकलते हैं तो इसकी ग्रेन लाइन बिगड़ी हुई होती है। जब तक इसे ठीक नहीं किया जाता है तब तक पीस की फिटिंग सही नहीं आती है। परिधान में कई स्थानों पर ओरेनी, पट्टी, पाइपिंग आदि की जरूरत पड़ती है, इसे सही ढंग से काटने पर ही फिटिंग अच्छी आती है। सही ढंग से ना काटने पर इसमें झोल आ जाता है, जो परिधान के सौन्दर्य को कम कर देता है। इन बातों का ध्यान रखकर ही रेडीमेड वस्त्रों का चुनाव करना चाहिए।
सिलाई (Sewing and Assembling) - रेडीमेड कपड़ों को सिले सिलाए तैयार रूप में खरीदने के बाद उसमें और कुछ नहीं करना पड़ता है। इसलिए इसकी सिलाई के ढंग की जाँच करनी अत्यधिक जरूरी हो जाती है। मशीन से लगाये गये टाके समीप होने चाहिए, जहाँ सिलाई सादी हो (plain seam) वहाँ पर दोनों छोर या तो पिंकिग से काँटे जाएं या फिर उन दोनों को अलग-अलग टांकों की सहायता से बांध दिया जाये। परिधान की साइड सीम की मज़बूती पर भी ध्यान देना आवश्यक है। प्रत्येक सिलाई स्थान पर पर्याप्त कपड़ा होना भी जरूरी होता है, क्योंकि यदि कभी कपड़ों को ढीला करना पड़े तो उसके लिए कपड़ा होना भी जरूरी होता है। कभी-कभी रेडीमेड कपड़ों में अस्तर भी लगा होता है, इसलिए इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी होता है कि कपड़े का अस्तर सिकुड़ेगा तो नहीं, इसका खिंचाव तनाव कैसा है। अस्तर को लगाने का ढंग कैसा है, अस्तर का हर भाग कपड़े के साथ जुड़ा है या नहीं। इस प्रकार से रेडीमेड कपड़ों की अस्तर की रचना विधि (constuction) को देखना भी आवश्यक होता है।
तुरपन (Hemming) - कपड़ों को तैयार करने में कई भागों पर हाथों से तुरपन करनी पड़ती है। पाइपिंग लगाने में भी तुरपन करनी पड़ती है। खुले घेरे के नीचे भी तुरपन करनी पड़ती है। तुरपन के धागे छोटे-छोटे तथा सामने दिखायी नहीं देने चाहिए। तुरपन के लिए हमेशा मजबूत धागा लेना चाहिए। इसके साथ ही धागा कपड़े के अनुसार ही लेना चाहिए जैसे, नायलॉन के कपड़े की सिलाई नायलॉन के धागे से, सिल्क के कपड़े की सिलाई सिल्क के धागे से करनी चाहिए।
बन्द करने के साधन - परिधान को उतारने एवम् चढ़ाने के लिए कुछ भाग को खुला रखना पड़ता है जिन्हें पहनने के बाद बंद करने की व्यवस्था करनी पड़ती है। इसके लिए काज- * बटन, जिप, बकल, हुक - आई, बंधन आदि का प्रयोग किया जाता है। ये सारे भी परिधान का अनिवार्य तथा महत्वपूर्ण भाग होते हैं। इसलिए इस ओर भी ध्यान देना जरूरी होता है। बटन, जीप, फास्टनिंग वस्त्र की रचना एवम् कार्य क्षमता के अनुरूप तथा उससे मिलते हुए ही होने चाहिए।
कफ कालर आदि - रेडीमेड कपडों को खरीदते समय उसके कफ-कालर आदि पर भी ध्यान देना चाहिए। ये कपड़े से मिलते हुए होने चाहिए, इसके दोनों तरफ एक जैसा ही कपड़ा लगा होना चाहिए। इसे सीधे या ओरेबी कपड़े में से काटा जाना चाहिए। इसे साफ करना भी आसान होना चाहिए, इसका भी ध्यान रखना चाहिए। अगर परिधान को धोते समय इसे हटाने की जरूरत है तो ये इस तरह से डिजाइन होने चाहिए जिससे इसे सुविधापूर्वक हटाया जा सके। इन्हें कड़ा करने के लिए उसमें बकरम लगी होनी चाहिए।
शैली और फैशन (Style and Fashion) - रेडीमेड कपड़ों को खरीदते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वो फैशन में या चलन में हों कुछ वस्त्रों में सजावट, बाह्य रेखा की लम्बाई, घेर, चुन्नट, झालर, आस्तीन आदि में फैशन देखा जाता है। इसका ध्यान रखते हुए ही कपड़ो का चयन करना चाहिए। नवीन शैली और प्रचलित फैशन का ध्यान रखते हुए ही परिधान का चुनाव करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो परिधान महंगा होते हुए भी पहनने वाले को आउट डेटेड सा बना देता है। प्रचलित शैली और आधुनिकतम फैशन की जानकारी फैशन पत्रिकाओं से की जाती है।
आरामदायक (Comfortable) - परिधान लेते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वस्त्र पहनने वाले को आरामदायक लगे। इसे पहनने में किसी प्रकार की असुविधा ना महसूस हो। वस्त्र अधिक कसा तो नहीं है, इसे पहनने में किसी तरह का खिचाव या तनाव ना महसूस हो, इसमें कहीं से झोल ना हो, नेक लाइन ठीक है, इन सब बातों का ध्यान रखते हुए ही परिधान का चुनाव करना चाहिए।
फिट, सूट एवम् बाह्य स्वरूप (Fit, Suit and Appearance) - परिधान आपके व्यक्तित्व को सूट करने वाला होना चाहिए। ये आपके शरीर की बनावट के अनुसार होना चाहिए तथा इसे पहनने के बाद आपके व्यक्तित्व में चमक आनी चाहिए, ऐसा तभी हो सकता है जब ये आपके शरीर के अनुरूप हो।
अधिक उपयोग (Longer Wearability) - वस्त्र और उससे सम्बन्धित सभी बातों का मजबूती से ध्यान रखने पर वस्त्र मजबूत बना रहता है। इसके सभी पक्ष, रंग, सौन्दर्य, सिलाई आदि का ध्यान रखकर चुनाव करने पर वस्त्र अधिक समय तक उपयोग किया जा सकता है।
देख-रेख, धुलाई-सफाई तथा संचयन (Clearing and Washing Care and Storage) - सहज देखरेख वाले (Easy Care) परिधान ही सबको अच्छे लगते हैं। लेकिन अगर कपड़ा अत्यधिक सुन्दर है तो उसके सौन्दर्य की देख-रेख भी करनी पड़ती है। कपड़ों को सामान्य विधि से साफ किया जा सके, ऐसे वस्त्रों का ही चुनाव करना चाहिए। कपड़ों के बारे में उसके विक्रेता से भी जानकारी ली जा सकती है, कुछ विक्रेता अपने कपड़ों के बारे में सूचना प्रदान करते हैं। यदि उपभोक्ता इन सूचनाओं का लाभ उठाने की आदत रखेगा तो विक्रेता अपने परिधान को सतर्कता से देख-रेख करके ही उसके बारे में जानकारी प्रदान करेगा। वस्त्रों पर एक लेबल लगा होता है जिसमें उसके बारे में जानकारी मिलती है कि उस वस्त्र को कैसे धोना है, उसका रख रखाव, संचयन से सम्बन्धित सूचनाएँ आदि प्राप्त की जा सकती हैं। विशेष निर्देशों का पालन न कर सकने वाले व्यक्तियों को ऐसे वस्त्रों का चयन नहीं करना चाहिए। यदि परिधान की देख-रेख उचित ढंग से नहीं की जाये तो ये अधिक समय तक नहीं चल पायेगा।
फ्री-साइज परिधान - संश्लेषित रेशों (Synthetic Fibres) से बने रेडीमेड वस्त्र फ्री साइज के बनते हैं। अतः इन वस्त्रों में साइज छोटा-बड़ा नहीं होता है, ये थर्मोप्लास्टिक होते हैं। ये स्ट्रेच और टेक्स्चर्ड यार्न से बनते हैं इसलिए इनकी देखरेख करना आसान होता है। प्रायः इन्हें इस्तरी नहीं की जाती है। टाइट फिटिंग वाले कपड़े जैसे हौजरी आदि इन्हीं से बने होते हैं। इसका जीवन काल लम्बा होता है क्योंकि ये आयु बढ़ने पर शरीर के आकार में वृद्धि होने पर भी फिट हो जाते हैं। इस प्रकार से सभी पहलुओं पर पूरी तरह से आश्वस्त हो जाने के बाद ही रेडीमेड कपड़ों को खरीदना चाहिए। केरोलिन के अनुसार, "You should have confidence in your selections after carefully budgeting your money and should not hegitate to buy garments which have been so carefully choosen." कपड़े का मूल्य सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात है, हम कितने मूल्य का कपड़ा लेना चाहते हैं, इसका ज्ञान होना भी जरूरी होता है। हमें उसी मूल्य का कपड़ा देखना चाहिए, जिससे हमारा तथा विक्रेता दोनों का समय एवम् श्रम दोनों बचे। एक मूल्य में ही यदि थोड़ा पैसा लगाकर अच्छी श्रेणी का कपड़ा मिल जाए तो इसे लेना बुद्धिमानी होता है।
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- प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
- प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
- प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
- प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
- प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
- प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
- प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
- प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाटिक रंगने की कौन-सी विधि है। इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
- प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों की रंगाई के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
- प्रश्न- एजोइक रंग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- रंगाई के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त में इसका वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
- प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
- प्रश्न- डिजिटल प्रिंटिंग (Digital Printing) के क्या-क्या लाभ होते हैं?
- प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
- प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
- प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
- प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
- प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
- प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
- प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
- प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
- प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
- प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के किन प्रदेशों में किया जाता है? पटोला वस्त्र निर्माण की तकनीक समझाइए।
- प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरुषों के वस्त्र खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखेंगी? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- फैशन के आधार पर वस्त्रों के चुनाव को समझाइये।
- प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
- प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
- प्रश्न- व्यवसाय के आधार पर वस्त्रों के चयन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूती वस्त्र गर्मी के मौसम के लिए सबसे उपयुक्त क्यों होते हैं? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
- प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
- प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
- प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
- प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
- प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
- प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
- प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
- प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
- प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
- प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
- प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।